ठंडी ठंडी हवाओं संग
मिटे अंतर्मन के द्वेष सब,
मकर राशि मे होता है
सूर्य देवता का प्रवेश जब।
गुड़ की डलियों की मिठास में
फिर घुलता सम्पूर्ण देश है,
प्रेम भाव बांट आपस में
खिलता हमारा परिवेश है।
हल्की-हल्की धूप साथ में
मीठी मीठी खुशियां लाये,
भीनी-भीनी तिल की खुशबू
घर आंगन सबका महकाये।
मूंगफली, गुड़ रेवड़ी संग
पंजाब लोहड़ी मनाता है,
दक्षिण भारत भी पोंगल मना
अपने हर ख्वाब सजाता है।
नीले नीले अम्बर में भी
बाहर पतंगों की छाती है,
तितली के रंगों सी मोहक
खुशियां भी अपार आती हैं।
दुर्विचारों का नाश करके
मन की सम्पूर्ण भ्रांति मिटे,
पुष्प की बगिया सी महकती
आपकी मकर संक्रांति दिखे।
जीवन में हम सबके आये
तरक्की के आयाम हजार,
दिल से मुबारक हो सभी को
मकर संक्रांति का त्योहार।
स्रोत : इंटरनेट
No comments:
Post a Comment