Saturday, October 30, 2021

मिट्टी वाले दीये जलाना..अबकी बार दीवाली में !!

 



राष्ट्रहित का गला घोंटकर,

                     छेद करना थाली में...

मिट्टी वाले दीये जलाना,

                    अबकी बार दीवाली में !

देश के धन को देश में रखना,

                      नहीं बहाना नाली में..

मिट्टी वाले दीये जलाना,

                   अबकी बार दीवाली में !

बने जो अपनी मिट्टी से

                  वो दिये बिकें बाज़ारों में...

छुपी है वैज्ञानिकता अपने,

                     सभी तीज़-त्यौहारों में !

चायनिज़ झालर से आकर्षित,

                     कीट-पतंगे आते हैं...

जबकि दीये में जलकर,

                बरसाती कीड़े मर जाते हैं !

कार्तिक दीप-दान से बदले,

                   पितृ-दोष खुशहाली में...

मिट्टी वाले दीये जलाना...

                 अबकी बार दीवाली में !

मिट्टी वाले दीये जलाना...

                 अबकी बार दीवाली में !

कार्तिक की अमावस वाली

                 रात अबकी काली हो...

दीये बनाने वालों की भी,

                खुशियों भरी दीवाली हो !

अपने देश का पैसा जाये,

                अपने भाई की झोली में...

गया जो दुश्मन देश में पैसा,

                लगेगा रायफ़ल गोली में !

देश की सीमा रहे सुरक्षित,

               चूक हो रखवाली में...

मिट्टी वाले दीये जलाना...

               अबकी बार दीवाली में !

मिट्टी वाले दीये जलाना..

             अबकी बार दीवाली में !

 

(स्रोत व्हाट्सअप )